ए सैटरडे (A Saturday)


कल एक ऐसी घटना से साबका हुआ कि अब तक दिमाग उसी में उलझा हुआ है।

शनिवार दिन होने के नाते कल सभी पाँचों मित्र- विवेक, धीरेन्द्र, एके, आनन्द और मैं सब्जी लेने साप्ताहिक बाजार गये हुए थे। बाजार का सबसे अच्छा समय रात को होता है, तो करीब 8 बजे हम सभी बाजार में टहल-घूम रहे थे। एक दुकान पर कई सारी हरी सब्जियाँ थीं, तो हम बैठकर छाँटने लगे।

तभी मेरे पीछे आठ-नौ साल का एक बच्चा अपना थैला लिये आकर खड़ा हुआ और बड़ी मासूमियत से पूछा कि- “लौकी कैसे है..?” दुकानदार ने तीस के भाव बतलाए। बच्चे ने दुबारा पूछा- “कम नहीं होगा?” उसकी मासूमियत को देखते हुए हम लोगों ने दुकानदार से पैसे कम करने को कहा, वह भी तुरंत 25 में देने को तैयार हो गया। और उसे इंतजार करने को कहकर हमारी सब्जी देने लगा। बच्चा मेरे पीछे कुछ यूँ खड़ा था कि उसका थैला मेरे आगे फैला हुआ मुझे आधा ढँक रहा था।

तभी मुझे अपनी शर्ट की जेब में कुछ सरसराहट सी महसूस हुई। मुझे लगा कि मेरा गैलेक्सी S-2 वाइब्रेट कर रहा है, मैनें हाथ लगाकर चेक किया, मेरा वहम मात्र था। मैं शिमला मिर्च छाँटने हेतु आगे झुका, तभी वह सरसराहट दुबारा हुई। सचेत मस्तिष्क ने सुझाया कि मामला कुछ गड़बड़ है। मैनें कनखियों से देखा तो लगा कि वह बच्चा असहज रूप से आगे की ओर झुका हुआ है। मुझे मामला समझते देर नहीं लगी, लेकिन स्वाभाविक रिफ्लेक्स एक्शन को रोकते हुए मैनें प्रतीक्षा करने का निर्णय लिया। हम सब्जियाँ लगभग ले चुके थे, लेकिन मैनें कुछ समय और व्यतीत कर कोशिश की कि उसे फोन चुराने का पूरा अवसर मिले। मैनें जबरदस्ती और सब्जियाँ लेने का निर्णय किया। मित्र समझ नहीं पा रहे थे कि मामला क्या है। बच्चे और अन्य का ध्यान बँटाते हुए मैनें शर्ट की तंग जेब में फँसे मोबाइल को ढीला किया और अगले 10-15 सेकेण्ड उसके उत्साहित हाथों से मोबाइल चुराये जाने की प्रक्रिया का आनन्द लेता रहा। साथ ही बगल में खड़े विवेक को फुसफुसाकर पीछे चल रही गतिविधि के बारे में बताया। वे सब चतुराईपूर्वक उसके पीछे खड़े हो गये। दुर्भाग्यवश जेब उसकी कल्पना से ज्यादा चुस्त निकली। हताश होकर मुझे तीन-चौथाई बाहर निकले फोन से ही संतोष करना पड़ा और पलटकर उसका हाथ पकड़ लिया। हम सब उसे लेकर अगले 20 मिनट बाजार में टहलते रहे और अपने सामान खरीदते रहे। बच्चे के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। न ही भय, न भागने का प्रयास, न रोना-गाना। पहली बार में ही उसने स्वीकार कर लिया कि वह चोरी करने का प्रयास कर रहा था।

किनारे लाकर पूछताछ करने पर उसने अपना नाम रोहन बताया। पुरानी दिल्ली स्टेशन पर माँ-बाप के साथ रहता है। वे भागलपुर के रहने वाले हैं, जगह कोई साहबगंज। दोनों मजदूरी करते हैं, वह स्कूल नहीं जाता, चोरी करता है। आज पहली बार फोन चोरी करने का प्रयास कर रहा था, बोहनी बिगड़ गई। माँ का फोन नंबर दिया।

बात करने पर उसकी माँ अनीता ने बताया कि वह अपने पति की तबीयत खराब हो जाने के कारण भागलपुर वापस आ गई है और रोहन उसी के साथ है। दुबारा कड़ाई से पूछने पर उसने कहा कि वह बच्चे को उसकी मौसी के सुपुर्द कर आई थी कि उसे कुछ दिन बाद भागलपुर पहुँचवा दे। वे बहुत गरीब हैं, एक बच्चा गोद में है आदि रोना धोना.. हम उसके बेटे को छोड़ दें और पुलिस के पास न ले जायें। दाल में कुछ काला पाकर मैनें कहा कि बच्चा पहले ही पुलिस को सौंपा जा चुका है और वे मुखर्जीनगर थाने में आकर बच्चे को रिसीव कर लें। उसने अपनी दूरी का रोना रोया और कहा कि हम बच्चे को छोड़ दें।

रोहन और उसकी माँ की बातों में कई विरोधाभास देखकर हमने मामले को आगे बढ़ाने का निश्चय किया। पुलिस की एक पैट्रोलिंग पार्टी आई, जिसे सारी स्थिति समझाई गई। लेकिन दिल्ली पुलिस की लिंग व बच्चों के प्रति संवेदनशीलता के खराब ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए मुझे बच्चे को सीधे उन्हें सौंपने में कोई समझदारी नहीं दिखी। मैनें चाइल्डलाइन को 1098 पर फोन किया, और उन्हें सारी स्थिति समझाई। उन्होंने इस क्षेत्र में काम करने वाले संबद्ध एनजीओ ’प्रयास’ से मुझे कनेक्ट किया। उनसे बात करता-करता मैं थोड़ा आगे आ गया तभी सेकेण्डों में एक विचित्र घटना घटी—

मेरे फोन पर लगे होने के दरमियान बच्चे ने मित्रों व पुलिस को बताया कि वे दो-तीन एक साथ काम करते हैं। एक ऑटोवाला उन्हें रोज सुबह लाकर किसी बाजार में छोड़ता है, और शाम को वही वापस ले जाता है। उनके वापस जाने का समय हो चुका है, अत: वो ऑटो उसे ढूँढ रहा होगा।

बाकी मित्र व पुलिस पार्टी जहाँ खड़े थे वह रास्ता आगे जाकर डेड-एंड में समाप्त होता है। बच्चे के बताने के दो-तीन मिनट के भीतर उसी डेड-एंड की तरफ से एक ऑटो तेज गति से आता दिखा और बच्चे ने चिल्लाकर बताया कि यह वही ऑटो है। कॉन्सटेबल ने उसे रुकने का इशारा दिया, तो ऑटो बेहद तेज गति से भागने का प्रयास करने लगा। पैट्रोलिंग पार्टी ने गाड़ी दौड़ाकर उसे पकड़ लिया। वह इस बात का कोई संतोषजनक उत्तर दे पाने में अक्षम था कि आखिरकार वह किस तरफ से आ रहा था? उसने बच्चे को पहचानने से इनकार किया, बच्चे ने उसकी शिनाख्त करते हुए बताया कि वह उसी के घर में रहता है। ड्राइवर के पास न तो कागज़ात पूरे थे, न ही ऑटो मालिक के फोन नम्बर पर बात हो पा रही थी। वह कसमें खा रहा था कि वह बच्चे को नहीं जानता, बच्चा अड़ा हुआ था कि वह उसी के घर में रहता है। यह पूछे जाने पर कि ड्राइवर के घर में कौन-कौन है, उसने बताया कि उसकी बीवी और बच्चे। ड्राइवर ने तुरंत कहा कि उसकी तो शादी ही नहीं हुई है, हम चाहें तो तस्दीक कर लें। थोड़ी देर बाद वह अपनी बात से पलट गया, कि शादी तो हुई है लेकिन कोई बच्चा नहीं है। वह अब बुरी तरह से फँस चुका था और मामला सुलझता नजर आ रहा था।

मैनें एनजीओ ’प्रयास’ को दुबारा संपर्क किया और उनसे आगे की कार्यवाही के बारे में पूछा। उन्होंने मुझे बच्चे को पैट्रोलिंग पार्टी को सौंप देने को कहा। पार्टी का फोन नंबर लेकर मैनें बच्चे को उन्हें सौंप दिया और हम सब बातचीत करते 9 बजे घर लौट आये।

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई थी। घर लौटने के आधे घंटे के भीतर पुलिस ने मुझसे संपर्क किया और कॉलोनी के बाहर आने का अनुरोध किया। इस बीच उसकी माँ ने मेरे फोन पर कॉल करके बच्चे को दुबारा छोड़ देने का अनुरोध किया, अपनी ग़लती की माफी माँगी और अपनी ग़रीबी की दुहाई दी।

मैं जब बताई जगह पहुँचा तो पुलिस पार्टी, ऑटोवाला, बच्चा आदि सब हमारा इंतजार कर रहे थे। पता चला कि बच्चा साफ झूठ बोल रहा था। ऑटोवाला निर्दोष था। बच्चे ने बताया कि उसका मौसेरा भाई उसका हैंडलर है। उन्होंने उसे सिखा रखा है कि पुलिस के चंगुल में बेतरह फँस जाने पर दिखने वाले पहले ऑटो की तरफ इशारा कर दो।

तुरत-फुरत एक योजना बनी। फोन को स्पीकर पर रखकर बच्चे ने अपने मौसेरे भाई को कॉल किया और उसे लंबा हाथ लगने की सूचना दी। मौसेरे भाई ने बताया कि वह करनाल बाईपास पर है और दो घंटे से पहले वहाँ नहीं पहुँच सकता। लेकिन थोड़ी देर बात करने के बाद उसे शक हो गया और उसने फोन काट दिया। कॉन्स्टेबल के नौसिखियेपन ने एक संभावित लीड खत्म कर दी। अबतक मामला इतना ज्यादा उलझ चुका था कि समझ आना बन्द हो गया था कि कौन सही है कौन गलत? बच्चे द्वारा बताई जाने वाली हर बात दस मिनट के भीतर गलत साबित हो जा रही थी। उन्होंने मुझसे थाने चलकर आधिकारिक रपट दर्ज कराने को कहा। मैनें उनकी बात मान ली और उन्हीं के साथ तीमारपुर थाने पहुँचा।

विवेचक मुकेश कुमार (एस.आई) ने हमारा स्वागत किया। उन्होंने अबतक की प्रगति हमें बताई (जो हमें पहले से मालूम थी) और पूछा कि हमलोग इस मामले में आगे किस तरह बढ़ना चाहते हैं?

यह एक जटिल प्रश्न था। चाइल्डलाइन को फोन करने और आगे के आपाधापी वाले दो-तीन घंटों में हमें ठंडे दिमाग से विचार करने का मौका नहीं मिला था। पुलिस प्रणाली का एक हिस्सा होने के बावजूद मेरे मन में स्वाभाविक भय था कि औपचारिक शिकायत का बच्चे का भविष्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है। यदि हम एफ.आई.आर दर्ज कराते तो निश्चित रूप से वह बच्चा अवैध हाथों में जाने से बच जाता। फिर उसकी पृष्ठभूमि की पूरी जाँच होती, यदि वह किसी रैकेट या सिंडिकेट का हिस्सा होता तो उसका पर्दाफाश होने की संभावना थी, वह ट्रायल होने तक किसी शेल्टर में रहता न कि थाने में।

दूसरी तरफ औपचारिक शिकायत करने का भय यह था कि दोषसिद्धि पर उसे बाल/किशोर सुधार गृह में भेजा जाता। जहाँ से 99% संभावना थी कि वह एक शातिर अपराधी बनकर निकलता। (इन सुधार गृहों का ट्रैक रिकॉर्ड हताशाजनक स्तर तक खराब है) पुन: एन.जी.ओ. के कार्यकरण पर भी पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता था। रैकेट का पर्दाफाश इस बात पर निर्भर करता कि विवेचक ने तफ्तीश कितनी गहराई में जाकर की है और चार्जशीट कितनी मजबूत है?

इन सबको देखते हुए सामने मौजूद बच्चे का भविष्य बचाना एक चिंता की बात थी। यदि हम अपनी शिकायत वापस लेते तो बच्चा अपने विधिक अभिभावक/माँ-बाप को सौंप दिया जाता। ऐसी स्थिति में आगे कोई औपचारिक तफ्तीश नहीं होती, लेकिन वह सुधार गृह जाने से बच जाता। यह एक अच्छी स्थिति थी, लेकिन इसमें डर यह था कि माँ-बाप के आने तक बच्चा पुलिस अभिरक्षा में रखा जात्ता, जहाँ उसके साथ जाने कैसा सुलूक होता? और सबसे बढ़कर यदि उसके अभिभावक ही उसके हैंडलर हुए तो क्या? कहीं पुलिस अपना पल्ला झाड़ते हुए उसे किसी ऐरे-गैरे-नत्थू-खैरे को सौंपकर ही निश्चिंत न हो ले।

लेकिन विवेचना अधिकारी मुकेश का व्यवहार आश्चर्यजनक रूप से ग़ैर-पुलिसिया लगा। उन्होंने हमें भरोसा दिलाया कि वे अपने स्तर से अनौपचारिक तफ्तीश किसी औपचारिक तफ्तीश से ज्यादा गंभीरता से करेंगे तथा बच्चे को उसके स्थानीय अभिभावक को नहीं बल्कि उसके असली माँ-बाप को ही सौंपा जायेगा। तथा इस दरम्यान बच्चा किसी सज्जन के घर पर रहेगा।

मुझे पता था कि इन दावों/वादों के गलत साबित होने की संभावना बहुत ज्यादा है लेकिन दूसरे विकल्प में उसके भविष्य के बर्बाद होने की संभावना कहीं ज्यादा लग रही थी। यह एक एथिकल डाइलेमा था, जिसमें कानून/नैतिकता का झुकाव पहले विकल्प की तरफ स्पष्टत: था, लेकिन हम लोगों ने अंतरात्मा की आवाज पर ज्यादा भरोसा करते हुए मुकेश जी की सद्भावना पर दाँव लगाने का निश्चय किया। फोन नंबरों तथा जानकारी के आदान-प्रदान हुए और मैनें लिखित तौर पर अपनी शिकायत वापस ली। मुकेश ने हमें धन्यवाद दिया और हम रात के 11:30 बजे घर वापस लौटे।

सोचा था कि मामले से जुड़ी कुछ तस्वीरें भी पोस्ट करूँगा, लेकिन मन नहीं कर रहा। शायद फिर कभी..

अपडेट: रात के 3:30 बजे मेरा फोन बजा। मुकेश का फोन था। वे 4 बजे मेरे कमरे पर आये, नींद से जगाने के लिये माफी माँगी। मुझे जो बात बताई, उसका शक तो था लेकिन सुनकर पाँव तले जमीन खिसक गई। जिनका दावा बच्चा कर रहा है, वे उसके माँ-बाप नहीं हैं। उन सबके फोन अब बंद हो चुके हैं। वह शायद अनाथ है या बहुत पहले अपहृत। फिलहाल उसके बांगलादेशी होने की संभवानाएं टटोली जा रही हैं। मुकेश मुझे अपडेट देकर, दुबारा माफी माँगकर, एक गिलास पानी पीकर सीढ़ियों से नीचे उतर चुके हैं। मैं नीचे देखता हूँ, बच्चा अँधेरे में उनका हाथ पकड़कर चल रहा है। दिल्ली पुलिस का यह दुर्लभ मानवीय चेहरा ड्यूटी खतम होने के बाद भी पसीने से लथपथ दौड़धूप कर रहा है और मुझे महसूस हो रहा है कि शायद मेरी अंतरात्मा ने सही सलाह दी थी। जानता हूँ कि अभी उम्मीद करना Hopelessly Early होगा, लेकिन एक चुटकी उम्मीद अभी कायम है।
     

16 Responses
  1. Smart Indian Says:

    कितने सवाल बाकी हैं अभी ... लेकिन यहाँ से आगे सब कुछ क़ानूनी लिखा-पढ़त के साथ ही होना चाहिए.


  2. काश कि सब कुछ ठीक हो जैसी.. हम और आप उम्मीद लगाते हैं, बच्चा है, बड़ा भी होगा,और जाने कितने सटरडे ऐसे ही बीतते रहेंगे ... लेकिन उम्मीद कायम रहे ...


  3. आपका प्रयास और पुलिस का संवेदनशील पक्ष देखकर मन में बड़ा संतोष जग आया...


  4. पुलिसकर्मियों का संवेदनशील और मानवीय पक्ष बहुत कम अवसरों पर सामने आ पाता है जबकि वो भी हमारी तरह ही आम परिवारों से आते हैं। जैसी परिस्थितियों में इन्हें काम करना पड़ता है, वैसी परिस्थिति में खुद आलोचना करने वाले शायद और भी बुरा व्यवहार करेंगे। इस विषय पर मैं काफ़ी समय से एक पोस्ट लिखना चाह रहा था लेकिन सम-अप नहीं कर पा रहा था।
    रेप-कांड वाला मासूम एक स्कूल सर्टिफ़िकेट के आधार पर व्यस्क होने से छह महीने कम होने के कारण बच गया, इस बच्चे ने तो खैर छूटना ही है लेकिन उसकी तथाकथित माँ\मौसेरे भाई\मोबाईल नंबर आदि के आधार पर मामले की तह तक पहुँचा जा सकता है बशर्ते पुलिस को वीआईपी बेगार से मोहलत मिले।


  5. हैरान हूँ ....ऐसा भी होता है ........


  6. असम्भव है। इन पर भरोसा।


  7. Smart Indian Says:

    बंद फोन भी ढूंढें जा सकते हैं. इस बच्चे के भूत को भले ही बदला न जा सके, अनेक वर्तमान बच्चों के भविष्य को इसके भूत जैसा बनाने से अवश्य बचाया जा सकता है. लेकिन रिपोर्ट लिखे जाने पर ही किसी शुरुआत का आधिकारिक पहला कदम रखा जा सकता है ...


  8. क्या कहा जाए.. ऐसे कितने अनाथ बच्चे एक अंधी राह पर चलने को मजबूर हैं क्योंकि उनकी चिंता न समाज को है न सरकार को... पुलिस भी अकेले क्या करे..


  9. दिल्ली स्टेशन पर एक बार किशोरी से युवती होती लड़की गोद में कुछ माह की अपनी बहन को लिए खो गई मिली थी और कई गुंडे उसे घेर ले जाने की ताक में उसके आसपास थे। उसे बचाने का अपना डरावना अनुभव आज मुझे याद हो आया। हर पल वहाँ अपराध पलता है। पुलिस का मानवीय चेहरा देखना अच्छा तो लगता ही है।


  10. Dear Kartik this is a very coman thing and its happen each and every day but its your sencirity towards socity that you shown your intrest and chose a proper way to handel this situation normaly what happen we slap the condemnable and say thanks to god my pocket is safe and make a story about incedent . When ever I visit any Railway station lot of children are roaming at platforms and useing thiner or whitner for Intoxication sorry to say but its a big ? on Children helpline Police and Society


  11. Sophia Says:

    Are you unable to receive the verification code on your phone in Binance? If yes, dial Binance support phone number +1877-209-3306 immediately and grab easiest and best solutions to fix such errors in a jiffy. With the assistance of experts, your errors will be eradicated in the fraction of seconds with utmost perfection. You can contact these skilled and talented experts at any time as per the convenience and necessity.

    Binance Support number
    Binance Support phone number
    Binance Support phone number
    Binance phone number
    Binance number
    Binance Customer Service number


  12. Sophia Says:

    Coinbase users have to deal with wallet password errors every now and then as it is difficult to remember the password. A wallet is protected by 2fa 16-digit code but still, sometimes users get stuck. To eradicate all the wallet password errors from the roots in a hassle-free manner, you can take fruitful assistance from the well-equipped professionals by calling on the Coinbase Customer Service number +1877-330-7540 and get rid of all the errors instantly with accuracy. The experts know hack packs that help in fixing your errors problems easier and faster.
    Coinbase Support number
    Coinbase Support phone number
    Coinbase Support phone number
    Coinbase phone number
    Coinbase number


  13. Sophia Says:

    Are you coming across technical errors while following the transaction steps through the Mobile app in Binance? If yes, reach the Binance customer support Number +1877-330-7540 team who is always there to provide fruitful assistance and knock out all the errors and glitches in quick time so that users can enjoy trading flawlessly. You will be connected to the executives who are available around the clock and give full efforts to satisfy users with their remarkable services. Get the best assistance from the team in no time. Whenever you are dealing with an error, you are advised to call us and get free from issues.
    Binance Support number
    Binance Support phone number
    Binance Support phone number
    Binance phone number
    Binance number


  14. Sophia Says:


    Get stuck every now and then in Binance issues like password errors, login errors and much more. Such errors eat your time and are annoying at the same time. To get rid of any type of error from the roots, you can dial 24*7 active and accessible Binance Customer Support number anytime. You will be connected to the experts who will guide you and cater solutions and tricks that easily fix your issue without any trouble in the required time. You will always be guarded by the team as they are always there to delete your queries so that you can focus on your work.Binance Support number
    Binance Support phone number
    Binance Support phone number
    Binance phone number
    Binance number


  15. I found this one pretty fascinating, and you should go into my collection also. We provide Assignment help services all over the world. I am impressed with your article. We appreciate that please keep writing more content. I am offering help to students over the globe at a low price.
    Nursing Dissertation Help


  16. this issue bothering you and there is nothing you can do about it? To release all the errors once an all, you can always talk to the team Assignment Help


मेरे विचारों पर आपकी वैचारिक प्रतिक्रिया सुखद होगी.........

    Review My Blog at HindiBlogs.org

    अपनी खबर..

    My photo
    पेशे से पुलिसवाला.. दिल से प्रेमी.. दिमाग से पैदल.. हाईस्कूल की सनद में नाम है कार्तिकेय| , Delhi, India

    अनुसरणकर्ता

    Your pictures and fotos in a slideshow on MySpace, eBay, Facebook or your website!view all pictures of this slideshow

    विजेट आपके ब्लॉग पर

    त्वम उवाच..

    कौन कहाँ से..